मै मित्र से परेशान एक बेचारा इंसान हु ,
प्रातकल से जमघट लगाते है ,
कोई कहानी , चुटकुले और लतीफ़ा सुनते है ,
उपर से हँसकर भी उपर से रोता है,
चाहता हु चले जाए पर बोल नहीं पाता हु ,
उनके घर अगर नहीं गए ,तो तस्रिफ खुद लाते है ,
एक मिनट सुनो कर घंटा लगाते है ,
आते ही बैठकर कोई पुस्तक उठाएगे ,
है बहुत जिद्दी वे साथ लेकर जाएगे ,
उनको नाराज करने मै नहीं पाता हु ,
इसेलेय क्या करू चुप रह जाता हु ,
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